Aao Sunata Hoon Ganesh Bajan|आओ सुनाता हु गणेश हिन्दी भजन लीरिक्स |
Aao Sunata Hoon Ganesh Bajan|आओ सुनाता हु गणेश हिन्दी भजन लीरिक्स |
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
शायद लगे नयी तुमको , पर है सदियों पुरानी
शायद लगे नयी तुमको , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
शायद लगे नए तुमको , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
कैसे जब नन्दी ने माँ पार्वती का न माना आदेश
कैसे जब नंदी ने माँ पार्वती का न माना आदेश
तोह मने फिर कैसे बनाया अपना गणेश
अपना बाल गणेश , अपना बाल गणेश
कौनसा आदेश ? कैसे बने गणेश ? क्या हुवा ?
सब बताता हु , पहले सारेबोलो
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
माँ पर्वती जब जाती थी नहाने , तोह नंदी करता पहरेदारी
सबको था वह रोक लेता , पर चुप रहता शिव की जब आये सवारी
शिव जो चले आये अंदर , पार्वतीं हुयी बेहद नाराज
पर नंदी था बैल शिवा का उनके आगे बिलकुल बे -आवाज़
फिर क्या हुवा ? पार्वती के मैं में एक छह उठी
काश कोई होता मेरा जिसे मैं करती प्यार
जो मानता मेरी बाते, मुझपे हो जाता निसार
क्यों न मैं खुद ही बनाऊ उसे , दिल का हो एक टुकड़ा
मेरे ही जैसा हो उसका रंग , मेरे ही जैसा हो मुखड़ा
गणेश ? हाँ
फिर , फिर , फिर पार्वती ने गधा और रचा इक बालक विशेष
अपने मेल से बनाया अपना प्यारा गणेश
अच्छी कहानी है पर कुछ तोह गड़बड़ घोटाला है भाई
माँ पार्वती ने क्या ऐसी थी बालक की सूरत बनायीं
न सूंड , न कण हठी के , कैसा है इस बालक का वेश
है यह नहीं , है यह नहीं , है यह नहीं हमारा गणेश
का मुंह कैसे मिला
वह एक और कहानी है वह फिर कभी सुनौ
आज सुनी है हम सब ने बढ़िया एक कहानी
लगती है जो नयी नयी , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
शायद लगे नयी तुमको , पर है सदियों पुरानी
शायद लगे नयी तुमको , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
शायद लगे नए तुमको , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
कैसे जब नन्दी ने माँ पार्वती का न माना आदेश
कैसे जब नंदी ने माँ पार्वती का न माना आदेश
तोह मने फिर कैसे बनाया अपना गणेश
अपना बाल गणेश , अपना बाल गणेश
कौनसा आदेश ? कैसे बने गणेश ? क्या हुवा ?
सब बताता हु , पहले सारेबोलो
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
ओम गणेशाय नमः , ओम गणेशाय नमः
माँ पर्वती जब जाती थी नहाने , तोह नंदी करता पहरेदारी
सबको था वह रोक लेता , पर चुप रहता शिव की जब आये सवारी
शिव जो चले आये अंदर , पार्वतीं हुयी बेहद नाराज
पर नंदी था बैल शिवा का उनके आगे बिलकुल बे -आवाज़
फिर क्या हुवा ? पार्वती के मैं में एक छह उठी
काश कोई होता मेरा जिसे मैं करती प्यार
जो मानता मेरी बाते, मुझपे हो जाता निसार
क्यों न मैं खुद ही बनाऊ उसे , दिल का हो एक टुकड़ा
मेरे ही जैसा हो उसका रंग , मेरे ही जैसा हो मुखड़ा
गणेश ? हाँ
फिर , फिर , फिर पार्वती ने गधा और रचा इक बालक विशेष
अपने मेल से बनाया अपना प्यारा गणेश
अच्छी कहानी है पर कुछ तोह गड़बड़ घोटाला है भाई
माँ पार्वती ने क्या ऐसी थी बालक की सूरत बनायीं
न सूंड , न कण हठी के , कैसा है इस बालक का वेश
है यह नहीं , है यह नहीं , है यह नहीं हमारा गणेश
का मुंह कैसे मिला
वह एक और कहानी है वह फिर कभी सुनौ
आज सुनी है हम सब ने बढ़िया एक कहानी
लगती है जो नयी नयी , पर है सदियों पुरानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
आओ सुनाता हु सबको आज एक कहानी
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