श्री आदिनाथ जी आरती लिरिक्स | SHRI AADINATH JI AARTI LYRICS |
श्री आदिनाथ जी आरती लिरिक्स
| SHRI AADINATH JI AARTI LYRICS |
आरती उतारू आदिनाथ भगवान की,
माता मरुदेवि पिता नाभिराय लाल की,
रोम रोम पुलकित होता देख मूरत आपकी,
आरती हो बाबा, आरती हो आदिनाथ भगवान की।
प्रभुजी हमसब उतारे थारी आरती,
तुम धर्म धुरन्धर धारी, तुम ऋषभ प्रभु अवतारी,
तुम तीन लोक के स्वामी, तुम गुण अनंत सुखकारी,
इस युग के प्रथम विधाता, तुम मोक्ष मार्म के दाता,
जो शरण तुम्हारी आता, वो भव सागर तिर जाता,
हे...नाम हे हजारों ही गुण गान की.....
आरती उतारू आदिनाथ भगवान की।
तुम ज्ञान की ज्योति जमाए, तुम शिव मारग बतलाए,
तुम आठों करम नशाए, तुम सिद्ध परम पद पाये,
मैं मंगल दीप सजाऊ, मैं जग-मग ज्योति जलाऊ,
मैं तुम चरणों में आऊ, मैं भक्ति में रम जाऊ,
हे झूम-झूम-झूम नाचू करू आरती,
आरती उतारू आदिनाथ भगवान की।
माता मरुदेवि पिता नाभिराय लाल की,
रोम रोम पुलकित होता देख मूरत आपकी,
आरती हो बाबा, आरती हो आदिनाथ भगवान की।
प्रभुजी हमसब उतारे थारी आरती,
तुम धर्म धुरन्धर धारी, तुम ऋषभ प्रभु अवतारी,
तुम तीन लोक के स्वामी, तुम गुण अनंत सुखकारी,
इस युग के प्रथम विधाता, तुम मोक्ष मार्म के दाता,
जो शरण तुम्हारी आता, वो भव सागर तिर जाता,
हे...नाम हे हजारों ही गुण गान की.....
आरती उतारू आदिनाथ भगवान की।
तुम ज्ञान की ज्योति जमाए, तुम शिव मारग बतलाए,
तुम आठों करम नशाए, तुम सिद्ध परम पद पाये,
मैं मंगल दीप सजाऊ, मैं जग-मग ज्योति जलाऊ,
मैं तुम चरणों में आऊ, मैं भक्ति में रम जाऊ,
हे झूम-झूम-झूम नाचू करू आरती,
आरती उतारू आदिनाथ भगवान की।
आदिनाथ भगवान की आरती द्वितीय आरती।
ॐ की आदीश प्रभु, स्वामी जय आदीश प्रभु,
ऋषभ जिनंदा प्यारे, तिहू जग ईश विभो।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
नाभिराय के लाला, मरुदेवी नन्द-स्वामी,
नगर अयोध्या जन्मे, जन-गण-मन रंजन।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
प्रजापति कहलाये जगहित कर भारी,
स्वामी जगहित कर भारी,
जीवन-वृत्ति सिखाई, नींव धरम डारी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
सकल विभव को त्यागा, हुए आतम ध्यानी,
स्वामी हुए आतम ध्यानी,
लोकालोक पिछाने, भय केवलज्ञानी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
गिरी कैलाश पे जा के, कीना तप भारी,
स्वामी कीना तप भारी,
करम शिखर को चूरा, वरनी शिवनारी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ब्रम्हा विष्णु विधाता, आदि-तीर्थंकर,
स्वामी आदि-तीर्थंकर,
सहस आठ नामों से, सुमरे सुर इंदर।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ऋषि मुनिगण नर-नारी, तुमको सब ध्यावे,
स्वामी तुमको सब ध्यावे,
सुर चक्री पद लेके, शिव पद को पावे।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
चरण आरती करके, शत-शत शीश नमू,
स्वामी शत-शत शीश नमू,
ऐसी युक्ति, प्रभु सम बन जाऊं।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ॐ जय आदीश प्रभु, स्वामी जय आदीश प्रभु,
ऋषभ जिनंदा प्यारे, तिहू जग ईश विभो,
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ऋषभ जिनंदा प्यारे, तिहू जग ईश विभो।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
नाभिराय के लाला, मरुदेवी नन्द-स्वामी,
नगर अयोध्या जन्मे, जन-गण-मन रंजन।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
प्रजापति कहलाये जगहित कर भारी,
स्वामी जगहित कर भारी,
जीवन-वृत्ति सिखाई, नींव धरम डारी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
सकल विभव को त्यागा, हुए आतम ध्यानी,
स्वामी हुए आतम ध्यानी,
लोकालोक पिछाने, भय केवलज्ञानी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
गिरी कैलाश पे जा के, कीना तप भारी,
स्वामी कीना तप भारी,
करम शिखर को चूरा, वरनी शिवनारी।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ब्रम्हा विष्णु विधाता, आदि-तीर्थंकर,
स्वामी आदि-तीर्थंकर,
सहस आठ नामों से, सुमरे सुर इंदर।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ऋषि मुनिगण नर-नारी, तुमको सब ध्यावे,
स्वामी तुमको सब ध्यावे,
सुर चक्री पद लेके, शिव पद को पावे।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
चरण आरती करके, शत-शत शीश नमू,
स्वामी शत-शत शीश नमू,
ऐसी युक्ति, प्रभु सम बन जाऊं।
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
ॐ जय आदीश प्रभु, स्वामी जय आदीश प्रभु,
ऋषभ जिनंदा प्यारे, तिहू जग ईश विभो,
ॐ जय आदीश प्रभु.....।
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