सीमंधर स्वामी अरिहंत ज्ञानी आपकी शरण भजन लीरिक्स | SEEMANDHAR SWAMI ARIHANT GYANI AAPKI SHARAN BHAJAN LYRICS |
सीमंधर स्वामी अरिहंत ज्ञानी आपकी शरण भजन लीरिक्स
| SEEMANDHAR SWAMI ARIHANT GYANI AAPKI SHARAN BHAJAN LYRICS |
सीमंधर स्वामी अरिहंत ज्ञानी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
भरत क्षेत्र से ज्ञानी,महाविदेह भूमि
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
देखेंगे चौथा आरा हम,
होंगे साक्षात 'जिन' दर्शन,
चौतीस अतिशय, निहारेंगे हम भी
पाँच सौ धनुष ऊँचा कद,
अष्ठ प्रतिहार्य भी गजब,
भक्ति देवों की जानेंगे हम भी,
त्रिभुवन ज्ञानी, जगत के स्वामी,
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
समवसरण में बैठेंगे,
चौमुखी वाणी सुन लेंगे
समकित अमृत पियेंगे हम भी,
होंगे गण धरों के दर्शन,
बारह पर्षदाओ के संग
आत्म स्तिथि अपनी परखेंगे हम भी
सुधारस वाणी,सुने सभी प्राणी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
प्रभु वाणी श्रवण करके हम
प्रभु के श्रमण बनके हम
गुणस्थानों की सीढ़ियां चढ़ेंगे
महाव्रतों का पालन करके,
निकाचित कर्म क्षय करके,
प्रभु किरपा से केवली बनेंगे,
दस लाख केवली, अरब साधु साध्वी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
अब हमने ये ठाना है
हमे महाविदेह आना है
अंतर की अर्जी प्रभु सुन लेना
गुरु राजेन्द्र सूरी सूखकर
जयंत सेन सूरी मधुकर
चारित्र रत्न प्रदीप को देना
मुक्ति के स्वामी,करुणा के दानी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
भरत क्षेत्र से ज्ञानी,महाविदेह भूमि
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
देखेंगे चौथा आरा हम,
होंगे साक्षात 'जिन' दर्शन,
चौतीस अतिशय, निहारेंगे हम भी
पाँच सौ धनुष ऊँचा कद,
अष्ठ प्रतिहार्य भी गजब,
भक्ति देवों की जानेंगे हम भी,
त्रिभुवन ज्ञानी, जगत के स्वामी,
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
समवसरण में बैठेंगे,
चौमुखी वाणी सुन लेंगे
समकित अमृत पियेंगे हम भी,
होंगे गण धरों के दर्शन,
बारह पर्षदाओ के संग
आत्म स्तिथि अपनी परखेंगे हम भी
सुधारस वाणी,सुने सभी प्राणी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
प्रभु वाणी श्रवण करके हम
प्रभु के श्रमण बनके हम
गुणस्थानों की सीढ़ियां चढ़ेंगे
महाव्रतों का पालन करके,
निकाचित कर्म क्षय करके,
प्रभु किरपा से केवली बनेंगे,
दस लाख केवली, अरब साधु साध्वी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
अब हमने ये ठाना है
हमे महाविदेह आना है
अंतर की अर्जी प्रभु सुन लेना
गुरु राजेन्द्र सूरी सूखकर
जयंत सेन सूरी मधुकर
चारित्र रत्न प्रदीप को देना
मुक्ति के स्वामी,करुणा के दानी
आपकी शरण में हम आ रहे हैं,
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