ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की भजन लिरिक्स | O MAA TU TO JAANE VYATHA BHAJAN LYRICS |
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की भजन लिरिक्स
| O MAA TU TO JAANE VYATHA BHAJAN LYRICS |
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की,
अँखियाँ जो छुप छुप रोयीं,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
पर्वत त्रिकूट पे चढ़के,
कन्या का रूप धरके,
तुमने बसाया वैष्णोधाम,
सुन ली तूने सदा श्रीधर की,
देके उसे सहारा,
करवा के फिर भंडारा,
भरी झोली तूने एक निर्धन की,
ओ माँ......... ।
भैरंव ने तुझसे माँगा,
माँस मदिरा प्याला,
अहंकार तूने ही तोड़ा,
भैरो घाटी गिरा,
सर कट के मांगी क्षमा जो उसने,
करके दया फिर तुमने,
लाज रखली उसके असुवन की,
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की,
अँखियाँ जो छुप छुप रोई,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की,
अँखियाँ जो छुप छुप रोयीं,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
अँखियाँ जो छुप छुप रोयीं,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
पर्वत त्रिकूट पे चढ़के,
कन्या का रूप धरके,
तुमने बसाया वैष्णोधाम,
सुन ली तूने सदा श्रीधर की,
देके उसे सहारा,
करवा के फिर भंडारा,
भरी झोली तूने एक निर्धन की,
ओ माँ......... ।
भैरंव ने तुझसे माँगा,
माँस मदिरा प्याला,
अहंकार तूने ही तोड़ा,
भैरो घाटी गिरा,
सर कट के मांगी क्षमा जो उसने,
करके दया फिर तुमने,
लाज रखली उसके असुवन की,
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की,
अँखियाँ जो छुप छुप रोई,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की,
अँखियाँ जो छुप छुप रोयीं,
तुझसे छुपी ना कोई,
हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की,
ओ माँ......... ।
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