मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ भजन लिरिक्स | MAIN GYANAND SWABHAVI HU LYRICS JAIN BHAJAN LYRICS |
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ भजन लिरिक्स
| MAIN GYANAND SWABHAVI HU LYRICS JAIN BHAJAN LYRICS |
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।
मैं हूँ अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझ में कुछ गंध नहीं।
मैं अरस अरूपी अस्पर्शी, पर से कुछ भी संबंध नहीं।।
मैं हूँ अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझ में कुछ गंध नहीं।
मैं अरस अरूपी अस्पर्शी, पर से कुछ भी संबंध नहीं।।
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।
मैं रंग राग से भिन्न, भेद से भी मैं भिन्न निराला हूँ।
मैं हूँ अखंड चैतन्य पिंड, निज रस में रमने वाला हूँ।।
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।
मैं ही मेरा कर्ता धर्ता, मुझमें पर का कुछ काम नहीं।
मैं मुझ में रहने वाला हूँ, पर में मेरा विश्राम नहीं।।
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।
मैं शुद्ध बुद्ध अविरुद्ध एक, पर परिणति से अप्रभावी हूँ।
आत्मानुभूति से प्राप्त तत्त्व, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।।
मैं ज्ञानानन्द स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ।
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