अग्रसेन जी की आरती लिरिक्स | Maharaja Agrasen Ji Aarti Lyrics |

अग्रसेन जी की आरती लिरिक्स
| Maharaja Agrasen Ji Aarti Lyrics |

जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे..जय श्री अग्र हरे
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें ..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय ।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे ।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे ..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये ।
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता ।
ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

ब्रहम्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा ।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये ।
कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए..॥
जय श्री अग्र हरे ॥

नवरात्री Special आरतियाँ, Aarti Lyrics, गणेश जी की आरती,Hindi Aarti, All Aarti Lyrics, Aarti songs,Mataji Ki Aarti,Aarti Kunj Bihari Ki krishna Aarti,Ganesh Ji Aarti 


Youtube Video



और भी ऐसे ही मधुर भजनों की लिरिक्स के लिए हमारी वेबसाइट को विजिट करते रहे|
इस भजन को आप अपने मित्रगणों के साथ शेयर करिए|
यदि आप भी हमें कोई भजन या अन्य उपयोगी सामग्री भेजना चाहे नीचे दिए गए बटन का प्रयोग करे|
|| आप को मारवाड़ी भजन डॉट कॉम की और से सादर जय सियाराम ||

Blogger द्वारा संचालित.