कर लो जिनवर का गुणगान आई सुखद घड़ी भजन लिरिक्स | KAR LO JINVAR KA GUNGAAN BHAJAN LYRICS |
कर लो जिनवर का गुणगान आई सुखद घड़ी भजन लिरिक्स
| KAR LO JINVAR KA GUNGAAN BHAJAN LYRICS |
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी,
आई सफ़ल घड़ी,
देखो मंगल घड़ी।
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
वीतराग का दर्शन पूजन,
भव भव को सुखकारी,
जिन प्रतिमा की प्यारी छवि लख,
मैं जाऊँ बलिहारी,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
तीर्थंकर सर्वज्ञ हितंकर,
महामोक्ष का दाता।
जो भी शरण आपकी आता,
तुम सम ही बन जाता,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
सम्यक दर्शन हो जाता है,
मिथ्यातम मिट जाता,
रतत्र्य की दिव्य शक्ति से,
कर्मनाश हो जाता।
निज स्वभाव साधन के द्वारा,
सिद्ध स्वगति मिल जाती,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल मूर्ति परम् पद,
पंच धरो नित ध्यान
हरो अमंगल विश्व का,
मंगलमय भगवान
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल जिनवर पद नमो,
मंगल अर्हन्त देव
मंगलकारी सिद्ध पद,
सो बंधु स्वयमेव
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल आचारज मुनि,
मंगल गुरु उवझाय
सर्व साधु मंगल करो,
वंदो मन वच काय
कर लो जिनवर का गुणगान
आई सुखद घड़ी।
मंगल सरस्वती मात का,
मंगल जिनवर धर्म
मंगलमय मंगल कर्ण,
हरो असाता कर्म
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
याविधि मंगल करण ते,
जग में मंगल होत
मंगल नाथू रामय,
भव सागर दृढ पोत
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
आई सुखद घड़ी,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी,
आई सफ़ल घड़ी,
देखो मंगल घड़ी।
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
वीतराग का दर्शन पूजन,
भव भव को सुखकारी,
जिन प्रतिमा की प्यारी छवि लख,
मैं जाऊँ बलिहारी,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
तीर्थंकर सर्वज्ञ हितंकर,
महामोक्ष का दाता।
जो भी शरण आपकी आता,
तुम सम ही बन जाता,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
सम्यक दर्शन हो जाता है,
मिथ्यातम मिट जाता,
रतत्र्य की दिव्य शक्ति से,
कर्मनाश हो जाता।
निज स्वभाव साधन के द्वारा,
सिद्ध स्वगति मिल जाती,
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल मूर्ति परम् पद,
पंच धरो नित ध्यान
हरो अमंगल विश्व का,
मंगलमय भगवान
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल जिनवर पद नमो,
मंगल अर्हन्त देव
मंगलकारी सिद्ध पद,
सो बंधु स्वयमेव
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
मंगल आचारज मुनि,
मंगल गुरु उवझाय
सर्व साधु मंगल करो,
वंदो मन वच काय
कर लो जिनवर का गुणगान
आई सुखद घड़ी।
मंगल सरस्वती मात का,
मंगल जिनवर धर्म
मंगलमय मंगल कर्ण,
हरो असाता कर्म
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
याविधि मंगल करण ते,
जग में मंगल होत
मंगल नाथू रामय,
भव सागर दृढ पोत
कर लो जिनवर का गुणगान,
आई सुखद घड़ी।
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