आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार भजन लीरिक्स | Aaj Ki Is Duniya Me Kitna Faila Hai Bharshtachaar Bhajan Lyrics |
आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार भजन लीरिक्स
| Aaj Ki Is Duniya Me Kitna Faila Hai Bharshtachaar Bhajan Lyrics |
आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार
ये केसा कलयुग आया है
मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये केसा कलयुग आया है
आज की इस दुनिया मे ---------------------------
1 जिन मात पिता ने पाला पोषा, भुल गये है आज उन्हिको
उनके ऐहसानो के बदले, मार रहे है धक्के उनको
उन्हिके घर से उनको ही, कर रहे बेघर, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे ---------------------------
२ जो भाई कभी न झगड़ ते थे, झगड़ रहे है आज वो कितने
जमीन जायदाद के खातिर देखो, लड़ रहे है आज वो कितने
भुला दीया है आज उन्होनो बचपन का सब प्यार, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे ---------------------------
३ मोह माँया मे हो गये अन्धे, लगने लगे अपने भी पराये
कोन है भाई कोन बहन है, भान रहा ना अब कीसी को
अपनो से ही कर रहे हे, बे ढंगा व्यवहार, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे कीतना फैला है भ्रष्टाचार
ये केसा कलजुग आया है, मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये केसा कलजुग आया है
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